कुछ ऐसी एहतियात से निकला हैं चाँद फिर
जैसे अँधेरी रात में खिड़की पे आऊं तुम
क्या चाँद ऑर ज़मी में भी कोई खिचांव हैं?
~ गुलज़ार, रात पश्मीने की
The moon is looking exceptionally beautiful tonight..
Labels: Dream, Passion, Poetry
posted by Priyanka M at 9:50 AM
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