Thursday, February 28, 2008

Soundless


वक्त के सितम कम हसीं नहीं
आज हैं यहाँ कल कहीं नहीं
वक्त के परे अगर, मिल गए कहीं
मेरी आवाज़ ही पहचान हैं
गर याद रहे

जो गुज़र गयी कल की बात थी
उम्र तो नहीं एक रात थी
रात का सिरा अगर, फिर मिलें कहीं
मेरी आवाज़ ही पहचान हैं
गर याद रहे

नाम गुम जायेगा
चेहरा ये बदल जायेगा...

...
मेरी आवाज़ ही पहचान हैं
गर याद रहे

~ गुलज़ार

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